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101 साल का जीवन पाठ: काम को पूजा, रिश्तों को पून्य मानो

गाँव के कोने पर पीपल के नीचे बैठी थीं दादी अम्मा, उम्र 101 साल, लेकिन चेहरे पर झुर्रियों से ज़्यादा मुस्कान थी। हर दिन की तरह बच्चे उनके पास आकर कहानी सुनने की ज़िद कर रहे थे। लेकिन आज कहानी दादी की अपनी थी।
"बच्चों," उन्होंने कहा, "लोग मुझसे अकसर पूछते हैं, इतनी लंबी उम्र का राज़ क्या है? तो सुनो, एक छोटा सा फंडा है — हर दिन को दिल से जीओ, सिर से नहीं!"
सब बच्चे चुपचाप सुनने लगे। तभी गाँव में बाहर से एक मेहमान आया – एक डॉक्टर जो ब्लू ज़ोन पर रिसर्च कर रहा था। उसने दादी से पूछा, “क्या आपने कभी ब्लू ज़ोन के बारे में सुना है?”
दादी हँसते हुए बोलीं, “न नाम सुना, न ज़ोन देखा, लेकिन शायद वही जीया है।”
डॉक्टर चौंक गया। उसने समझाया कि दुनिया में कुछ खास जगहें हैं – जापान का ओकिनावा, इटली का सार्डिनिया – जहाँ लोग 90 से 100 साल तक जीते हैं और वो भी एकदम स्वस्थ! उन्होंने दादी से पूछा, “आपके जीवन में ऐसी क्या चीज़ें रहीं जो आपको इतना स्वस्थ और खुश रख पाईं?”
दादी मुस्कुराईं और बोलीं: "सबसे पहली बात – मैं हर सुबह सूरज को देखती थी और कहती थी, आज तुझसे तेज़ मुस्कराना है।
दूसरी बात – मैं हर किसी को अपना मानती थी, चाहे वो अपना हो या पराया।
तीसरी बात – मैंने अपने काम से कभी थकान नहीं पाई, क्योंकि मैंने काम को पूजा की तरह किया।"
डॉक्टर ने नोट्स लिए। फिर पूछा, “और तनाव? ग़ुस्सा? शिकायत?”
दादी ने अपनी लाठी उठाई और ज़मीन पर एक रेखा खींच दी, “जो बातें दिल को भारी कर दें, उन्हें इसी रेखा के उस पार छोड़ देना चाहिए।”
डॉक्टर ने कहा, “ब्लू ज़ोन के लोग भी यही करते हैं — उन्हें Ikigai होता है, यानी जीवन का उद्देश्य। वे चलते हैं, हँसते हैं, रिश्ते निभाते हैं और सबसे ज़रूरी – वो काम में आनंद ढूँढते हैं।”
दादी ने बच्चों की तरफ देखा और बोलीं, “बचपन से ही सीखो — काम करो दिल से, लेकिन खुद को मत खोओ। और सबसे ज़्यादा जो ज़रूरी है — हर दिन थोड़ा खुश रहो, थोड़ा दूसरों को खुश करो। यही है असली लंबी उम्र का मंत्र।”
डॉक्टर ने सिर झुकाया और कहा, “दादी, आप तो चलती-फिरती ब्लू ज़ोन हैं!”
सब बच्चे तालियाँ बजाने लगे, और दादी मुस्कराकर आँखें मूंद लीं — जैसे एक और अध्याय पूरा हो गया हो।
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